Monday 2 October 2017

भारतीय सिनेमा की परीरानी..शकीला!
'हातिमताई' (१९५६) में परी बनी शकीला का अंदाज़!

भारतीय सिनेमा के सुवर्ण युग की शोख़ अदाकारा शकीला गुज़र जाने की ख़बर दिल को छू गयी!

१९४९ की फिल्म 'दुनिया' से परदेपर आयी ख़ूबसूरत शकीला ने पहले षोडश लड़की की भूमिकांए निभायी थी..जैसी की 'दास्ताँन' (१९५०) में मशहूर गायिका-अभिनेत्री सुरय्या का शुरू का किरदार! लेकिन उसने दर्शकों का ध्यान अपने तरफ खिंचा गुरुदत्त की हिट फिल्म 'आर पार' (१९५४) में..इसमें क्लब में उसने पेश किया हुआ "बाबूजी धीरे चलना.." यह गाना और उसकी दिलकश अदा छा गयी!
'आर पार' (१९५४) के "बाबूजी धीरे चलना." गाने में शकीला!


अभिनेत्री की तौर पर अपने फिल्म करिअर की शुरुआत में शकीला ने कोस्ट्युम ड्रामाज तथा पोषाखी फिल्मों में भूमिकांए की..जैसी की १९५४ में बनी 'गुल बहार', 'लाल परी', 'अलीबाबा और ४० चोर', 'नूर महल' और १९५५ में बनी मशहूर 'हातिमताई', 'रूप कुमारी'! ज्यादातर 'वाडिया मूवीटोन' ने बनायीं इन फिल्मों में महीपाल और जयराज जैसे उसके नायक थे!..'हातिमताई' के "झूमती है नज़र.." गाने में परी बनी शकीला का अंदाज़ बहोत ख़ूब था!

'सी.आई.डी.' (१९५६) के "आँखों ही आँखों में." गाने में देव आनंद के साथ शकीला!

फिल्म करिअर की चोटी पर देव आनंद, राज कपूर और शम्मी कपूर जैसे मशहूर अभिनेताओं की शकीला नायिका बनी! इसमें उसकी चुलबुली और शोख़ अदाएं लाजवाब थी..जैसे की 'सी. आई. डी.' (१९५६) में देव आनंद के साथ "आँखों ही आँखों में इशारा हो गया.." रूमानी गाने में और 'चाइना टाउन' (१९६२) में शम्मी कपूर उसकी तरफ इशारा करके "बार बार देखो.." डांस करता है तब!

'चाइना टाउन' (१९६२) में शम्मी कपूर और शकीला!


फिर राज कपूर के साथ 'श्रीमान सत्यवादी' (१९६०), मनोज कुमार के साथ 'रेशमी रूमाल' (१९६१) और मेहमूद के साथ 'कहीं प्यार ना हो जाए' (१९६३) ऐसी फिल्में करने के बाद..शादी होने पर शकीला रूपहले परदे से रुख़सत हो गई..लंदन चली गयी और फिर यहाँ लौट आयी!


आज जब वह इस दुनियाँ में नहीं रहीं तो..'उस्तादों के उस्ताद' (१९६३) फिल्म में प्रदीप कुमार ने उसके लिए गाया गाना दोहराने को मन कर रहां है...




"सौ बार जनम लेंगे..
सौ बार फ़ना होंगे..
ऐ जान-ए-वफ़ा फिर भी..
हम तुम न जुदा होंगे..."


उन्हें मेरी यह सुमनांजली!!



- मनोज कुलकर्णी
('चित्रसृष्टी', पुणे)

No comments:

Post a Comment