बॉलीवुड का हैंडसम वी.के.!
(७१ वे जनमदिन पर याद!)
'इम्तिहान' (१९७४) में विनोद खन्ना! |
'इम्तिहान' (१९७४) फ़िल्म में आधुनिक ख़यालात का अध्यापक का किरदार करनेवाले विनोद खन्ना पर यह गाना चित्रित हुआ था। अंग्रेजी फ़िल्म 'टू सर विथ लव' (१९६७) से प्रेरित इस फ़िल्म में उनका अभिनय फ़िल्म करियर का बेहतरीन रहा।..असल ज़िन्दगी में भी आखरी वक़्त वह इस तरह मौत से जूझते रहे..!
'मेरा गांव मेरा देस' (१९७१) में विनोद खन्ना! |
'मेरे अपने' (१९७१) में शत्रुघ्न सिन्हा को ललकारनेवाला विनोद खन्ना! |
दरमियान अपने समकालिन अभिनेताओं के साथ सहकलाकार की भूमिकाएं विनोद खन्ना बख़ूबी निभाते रहे।..जैसे कि कबीर बेदी के साथ 'कच्चे धागे' (१९७३), जितेन्द्र के साथ 'आनोखी
'अचानक' (१९७४) में विनोद खन्ना! |
'खून पसीना' (१९७७) में अमिताभ बच्चन के सामने विनोद खन्ना! |
'क़ुर्बानी' (१९८०) में विनोद खन्ना, अमजद खान और फ़िरोज़ खान! |
इसी काल में विनोद खन्ना फिल्म इंडस्ट्री से दूर जा कर आचार्य रजनीश (ओशो) के शिष्य बन चुके थे और १९८२ से सन्यासी हो गए..कुछ साल अमरिका भी गए! फिर १९८७ में वह फ़िरसे अपनी फिल्मी दुनिया में लौट आए..और मुकुल आनंद की फिल्म 'इन्साफ़' में डिंपल कपाड़िया के साथ काम किया।
इसके बाद उन्होंने जो फिल्में की उसमें उल्लेखनीय रही अरुणा राजे की 'रिहाही' (१९८८), लता मंगेशकरजी निर्मित 'लेकिन' (१९९१) और जे. पी. दत्ता की 'क्षत्रिय' (१९९३). इसके बाद १९९७ में उन्होंने 'हिमालय पुत्र' फिल्म का निर्माण कर के अपने बेटे अक्षय खन्ना को परदेपर लाया!
'लीला' (२००२) में विनोद खन्ना! |
बाद में विनोद खन्नाजी ने राजनीति में प्रवेश किया और पंजाब के गुरुदासपुर से दो बार चुनाव जित गए..और दो बार केंद्रीय मंत्री भी बने। फिर भी वह फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े रहे! २००७ में तो उन्होंने 'गॉडफादर ' इस पाकिस्तानी फ़िल्म में भी काम किया! उन्हें काफ़ी पुरस्कार मिले और 'फ़िल्मफ़ेअर' का 'लाइफ़टाईम अचीवमेंट अवार्ड' भी प्राप्त हुआ!
आज जब वह नहीं रहे तब 'मुक़द्दर का सिकन्दर' फ़िल्म का शिर्षक गाना याद आया!..हालाकि यह गाना अमिताभ बच्चन पर फ़िल्माया गया था; लेकिन जब यह पंक्तियाँ आती है..
"जिंदगी तो बेवफ़ा है एक दिन ठुकराएगी..
मौत महेबूबा है अपने साथ लेकऱ जाएगी!"
..तब कैमेरा रास्ते के बाजू में खड़े विनोद खन्ना पर जाता है, जो अर्थपूर्णता से हलकासा हँसता है!
मुझे अब भी याद आ रहा है बम्बई में 'सिनेमा १००' समारोह में उनसे मिलना!!
- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]
No comments:
Post a Comment