ख़ूबसूरत नज़ाकत..श्यामा! |
अलविदा कर गयी...
गुज़रे ज़माने की हसीन श्यामा!
- मनोज कुलकर्णी
फ़िल्म 'आर पार' (१९५४) में गुरुदत्त और शोख़ हसीन..श्यामा! |
"सुन सुन सुन सुन ज़ालीमा..
प्यार हमको तुमसे हो गया.."
प्रतिभाशाली निर्देशक-अभिनेता गुरुदत्त अपनी फ़िल्म 'आर पार' (१९५४) में जिसे यह गुज़ारिश कर रहे थे वह थी उस ज़माने की शोख़ हसीन अदाकारा..श्यामा!
उम्र ८२ पर यह बुजुर्ग अभिनेत्री अब इस दुनिया से चली गयी!
लाहौर में जन्मीं उनका असल में नाम था ख़ुर्शीद अख़्तर..लेकिन फ़िल्मकार विजय भट ने उन्हें परदे के लिए नाम दिया..श्यामा! १९४५ में 'ज़ीनत' फ़िल्म के "आहे न भरे.." इस कव्वाली में वह पहली बार परदे पर आयी!..बाद में 'शबनम' (१९४९) जैसी फिल्मों में उन्होंने काम किया!
फ़िल्म 'शारदा' (१९५७) में श्यामा और राज कपूर! |
१९५१ में उन्होंने त्रिकोणीय प्रेम कथा वाली दो फिल्मों में काम किया..जिसमें एक थी दिलीपकुमार और मधुबाला की 'तराना' तथा दूसरी थी देव आनंद और निम्मी की 'सज़ा'! फिर १९५३ में 'श्यामा' नाम की फ़िल्म में वह नायिका बनी..फिर इसी नाम से वह मशहूर हुई!
'बरसात की रात' (१९६०) में अपने गहरे अंदाज़ में..श्यामा! |
वह गुरुदत्तजी की 'आर पार' (१९५४) फ़िल्म ही थी, जिससे श्यामा को प्रमुख नायिका की हैसियत से बहोत शोहरत हासिल हुई! इसके "येल्लो मैं.." गाने में रूमानी अंदाज़ दिखानेवाली श्यामा ने बाद में मीना कुमारी की प्रमुख भूमिका वाली 'शारदा' (१९५७) जैसी फिल्मों में अपना अच्छा अभिनय दर्शाया और 'फ़िल्मफेअर' का पुरस्कार लिया!
श्यामा अपने शौहर फली मिस्त्री के साथ! |
फ़िल्म 'दो बहेन' (१९५९) में तो उन्होंने दो भिन्न भूमिकाएं अदा की थी! फिर 'मलिका-ए-हुस्न' मधुबाला अभिनीत 'बरसात की रात' (१९६०) जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने गहरे अंदाज़ दिखाए!
फ़िल्मी दुनिया से दूर..श्यामा! |
होमी वाडिया की फ़िल्म 'झबक' (१९६१) में श्यामा! |
"तेरी दुनिया से दूर..
चले होके मज़बूर..
हमें याद रखना.."
उनको मेरी सुमनांजली!!
- मनोज कुलकर्णी
('चित्रसृष्टी', पुणे, इंडिया)
No comments:
Post a Comment